जगत क्रोधी के बजाय क्रोध नहीं करनेवाले से ज़्यादा घबराता है! क्यों? कुदरत का नियम ऐसा है कि क्रोध बंद होने पर प्रताप उत्पन्न होता है! वर्ना क्रोध नहीं करनेवाले का रक्षण करनेवाला ही नहीं मिलता न! अज्ञानता में क्रोध रक्षण करता है!
परम पूज्य दादा भगवान‘खुदा’ तो सभी को ‘लाइट’ देते हैं। जिसे बदमाशी करनी हो उसे ‘लाइट’ देते हैं, जिसे चोरी करनी है उसे भी ‘लाइट’ देते हैं। लेकिन जोखिमदारी ‘तेरी’ है। खुदा ने क्या कहा है कि तू ही इस दुनिया का मालिक है। तू यदि मेरे नियमों का पालन करेगा तो तुझे खुदाई सत्ता मिलेगी!
परम पूज्य दादा भगवानराजा क्या कहता है कि, ‘मैंने लाखों लोगों को मार डाला।’ राजा तो सिर्फ अहंकार ही करता है, गर्वरस लेता है। मारा तो उन्होंने है जो लड़ाई में थे। राजा बिना वजह ज़िम्मेदारी क्यों लेता है? इससे मारनेवाले छूट जाते हैं। नियम क्या है कि अहंकार करे, उसके सिर ज़िम्मेदारी आती है।
परम पूज्य दादा भगवानयह जगत् दो प्रकार से है : पोलम्पोल है फिर भी नियम में है। पाँच इन्द्रियों और बुद्धिजन्य ज्ञान से यह सब पोलम्पोल लगता है और ‘ज्ञान’ से नियम में लगता है।
परम पूज्य दादा भगवानव्यवहार मार्गवाले से हम कहते हैं कि ‘संपूर्ण नीति का पालन कर।’ ऐसा नहीं हो पाए तो नीति का नियम से नीति का पालन कर। ऐसा न हो पाए और अनीति करे तो भी नियम में रहकर कर। नियम ही तुझे आगे ले जाएगा।
परम पूज्य दादा भगवानsubscribe your email for our latest news and events