चिंता सब से बड़ा अभिमान है इसलिए कुदरत उसे बहुत बड़ा दंड देती है। भगवान को गालियाँ देनेवाले की करनेवाले को ज़्यादा दंड मिलता है। जो काम दूसरा करता है उसकी चिंता तू कर रहा है? क्या तू इस कुदरत से भी बड़ा है?
परम पूज्य दादा भगवानसंसार दुःख स्वरूप नहीं है। ‘रोंग बिलीफ’ दुःख स्वरूप है। पराए को ‘खुद’ का माने तो क्या होगा? दुःख।
परम पूज्य दादा भगवानउपाधि (दुःख) कितना रखना? जो नहीं आए उसे बुलाना नहीं है और जो दुःख जा रहा हो उसे रखना नहीं है।
परम पूज्य दादा भगवान‘सफाई’ उतनी ही मान्य करना कि मैला होने पर चिंता न हो। ‘सफाई’ ऐसी रखो और उतनी ही रखो कि आपके लिए वह बंधनरूप न हो जाए!
परम पूज्य दादा भगवानये लोग जिसे मोक्षमार्ग समझते हैं, वह मोक्षमार्ग नहीं है। वह संसारमार्ग है। मोक्ष का मार्ग कल्पित नहीं है। वह शुद्ध मार्ग है, जहाँ पर कोई चिंता नहीं रहती, उपाधि (बाहर से आनेवाला दु:ख) नहीं रहती। उपाधि में भी समाधि रहती है।
परम पूज्य दादा भगवानसंसार में ‘बाय प्रोडक्ट’ में जो अहंकार है, उससे सहजता से संसार चल सकता है। वहाँ पर अहंकार का विस्तार करके अत्यंत चिंता हो गई है!
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