कैसी स्टेज प्राप्त होनी चाहिए? ‘अपनी ऐसी बुद्धि उत्पन्न हो जानी चाहिए कि अपने घर में क्लेश कभी भी नहीं हो।’ बाकी सब चलेगा लेकिन अंतरक्लेश नहीं होना चाहिए।
परम पूज्य दादा भगवानइकट्ठे रहकर, (संयुक्त कुटुंम्ब में), मतभेद रखने के बजाय मेल-जोल सहित अलग रहना अच्छा!
परम पूज्य दादा भगवानये लोग किच-किच करके खुद की सिद्धियाँ गँवा बैठते हैं, इसलिए ‘जैसा है वैसा’ जानो। इन सभी सगाइयों को लौकिक जानो, उन्हें अलौकिक सगाइयाँ मत मानना। ऐसी कोई खोज निकालो कि इस पज़ल में ही शांति से रह पाएँ। वह खोज आपके भीतर ही करनी है।
परम पूज्य दादा भगवानहमारी बात सही है और सामनेवाले की गलत है, लेकिन अगर टकराव हुआ तो वह गलत है।
परम पूज्य दादा भगवानइस दुनिया में ऐसा कोई कारण नहीं है जिसके लिए किंचित्मात्र भी क्लेश करने योग्य हो। क्योंकि आत्मा सुख परिणामी है। आत्मा का सुख कोई नहीं ले सकता। खुद ‘अव्याबाध स्वरूप’ है! खुद के पास वैभव है! अत: इन पराई चीज़ों में, ‘फॉरेन डिपार्टमेन्ट’ से ‘इतना सरोकार’ नहीं रखना चाहिए। ‘फॉरेन’ अर्थात् ‘फॉरेन’- ‘सुपरफ्लुअस’!
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