धर्म से माया की लूट बंद हो जाती है और अधर्म से माया की लूट शुरू हो जाती है।
परम पूज्य दादा भगवान‘इगोइज़म’ ही अधर्म है और ‘इगोइज़म’ का नहीं होना वही धर्म है। प्रत्यक्ष ‘ज्ञानी’ की उपस्थिति के बिना ‘इगोइज़म’ कम हो सके, ऐसा है ही नहीं।
परम पूज्य दादा भगवानअपने दृष्टि दोष को जो कम करे, वही धर्म है। जो दृष्टि दोष को बढ़ाए, वह अधर्म है। यह संसार दृष्टि दोष का ही परिणाम हैं।
परम पूज्य दादा भगवानसंसार का स्वरूप कैसा है? जगत् के जीवमात्र में भगवान विराजमान हैं, इसलिए किसी भी जीव को कोई भी त्रास पहुँचाओगे, दु:ख दोगे तो अधर्म होगा। अधर्म का फल है आपकी इच्छा के विरूद्ध और धर्म का फल है आपकी इच्छानुसार।
परम पूज्य दादा भगवानसब से ज्यादा कठिन अधर्म है, उससे कम कठिन है धर्म और जिसमें बिल्कुल मेहनत नहीं वह है मोक्ष!
परम पूज्य दादा भगवानपैसा ‘व्यवस्थित’ के अधीन है। फिर चाहे धर्म में रहेगा या अधर्म में फिर भी पैसा तो आता ही रहेगा!
परम पूज्य दादा भगवानsubscribe your email for our latest news and events