
भगवान से पूछें कि यह सब क्या है? तब भगवान कहते हैं कि, ‘यह कुछ भी नहीं है। ये सभी अपने-अपने कर्म भुगत रहे हैं!’
परम पूज्य दादा भगवानवीतरागों ने जगत् को निर्दोष देखा। फिर भला दोष निकालने वाले हम कैसे अक्लमंद? भगवान से भी ज़्यादा अक्लमंद?
परम पूज्य दादा भगवानसंसार अर्थात् राग-द्वेष वाली दृष्टि, जबकि वीतराग दृष्टि से मोक्ष है। वीतराग दृष्टि का मापदंड क्या है? यही कि पूरा जगत् निर्दोष दिखाई दे।
परम पूज्य दादा भगवानभगवान कौन हैं? जो शरीर होने के बावजूद भी शरीर के मालिक नहीं हैं, मन के मालिक नहीं हैं, वाणी के मालिक नहीं हैं, किसी भी चीज़ के मालिक नहीं हैं, वे इस जगत् में भगवान हैं!
परम पूज्य दादा भगवानमन की शांति, वह मनोवैभव है। मनोवैभव, वह ‘टेम्परेरी एडजस्टमेन्ट’ है। आत्मशांति, वह आत्मवैभव है और आत्मवैभव ‘परमानेन्ट एडजस्टमेन्ट’ है।
परम पूज्य दादा भगवानजब तक आपकी वजह से किसी को ज़रा सा भी दु:ख होता है तब तक आप पर उसका असर होगा ही। इसलिए सावधान रहना।
परम पूज्य दादा भगवानकिसी भी जीव को किंचित्मात्र भी दु:ख दोगे तो वह वेदनीय कर्म वेदना के रूप में आपको फल देगा। इसलिए किसी जीव को दु:ख देने से पहले सोचना।
परम पूज्य दादा भगवानप्रकृति धाक या धमकी से नहीं सुधरती, या वश में नहीं होती। धाक और धमकी से तो जगत् खड़ा हुआ है। धाक और धमकी से तो प्रकृति और भी अधिक बिगड़ती है।
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