दर्शन किसे कहते हैं? जो कैफ उतारे। जिससे किसी भी परिस्थिति में विचलित न हो, वह ‘ज्ञान’।
परम पूज्य दादा भगवानउल्टा ज्ञान मिलने से तृष्णा होती है और उल्टे ज्ञान की यह जो आराधना करते हो, उससे ये सारे दु:ख हैं!
परम पूज्य दादा भगवानसंसार में जो दु:ख आते हैं वे अपने द्वारा धर्म की विराधना होने से आते हैं।
परम पूज्य दादा भगवानगलत की भी विराधना मत करना। आपको यदि आराधना नहीं करनी हो तो मत करो। वह सामने वाले का ‘व्यू पॉइन्ट’ है, गलत नहीं है। यदि आपको ठीक नहीं लगता तो मत करना। सही की भी विराधना मत करना और गलत की भी मत करना। विराधना मात्र दु:खदायी है।
परम पूज्य दादा भगवानवास्तव में भगवान ने विराधना किसे कहा है? जो ‘ज्ञान’ की विराधना करेगा, वह विराधक कहा जाएगा। अज्ञान की विराधना करने वाला आराधक कहा जाएगा।
परम पूज्य दादा भगवानजीव को विनाशी चीज़ों में श्रद्धा है। उसे विनाशी चीजों का ही भोगवटा (सुख या दु:ख का असर) है जबकि परमेश्वर को अविनाशी चीज़ में श्रद्धा है, अविनाशी का ही भोगवटा है।
परम पूज्य दादा भगवानजो जीए और मरे, वह जीव है और जो अमर पद प्राप्त कर ले, वह आत्मा! आत्मा ‘सेल्फ’ है और यह रिलेटिव सेल्फ है। जीव तो अवस्था है।
परम पूज्य दादा भगवानआत्मा की अवस्था को जीव कहा गया है, और जो ‘परमानेन्ट’ है वह आत्मा है। जो जीता-मरता है वह जीव! ‘जीना है’, ऐसा भान है, ‘मैं मर जाऊँगा’, ऐसा भान है, उस अवस्था को जीव कहा गया है!
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