
आजकल घर में ज़्यादातर झगड़े शंका की वजह से होते हैं। शंका से स्पंदन उठते हैं और उन स्पंदनों से विस्फोट होते हैं। यदि निःशंक हो जाए तो अपने आप ही लपटें शांत हो जाएँगी। दोनों ही यदि शंकाशील हो जाएँ तो विस्फोट कैसे रुकेंगे? किसी एक को तो निःशंक होना ही होगा!
परम पूज्य दादा भगवानकिसी को दु:ख हो, ऐसा वातावरण उत्पन्न करने से हमें क्लेश उत्पन्न हो जाता है।
परम पूज्य दादा भगवानसामने वाला व्यक्ति भूल करके आए, उसकी कीमत नहीं है लेकिन क्लेश हो जाए तो उसकी बहुत कीमत है। जहाँ क्लेश है वहाँ भगवान का वास नहीं है।
परम पूज्य दादा भगवानबाहर का झगड़ा एकावतारी है जबकि अंदर का झगड़ा सौ-सौ जन्मों, लाख-लाख जन्मों तक चलता रहता है!
परम पूज्य दादा भगवान‘एवरीव्हेर एडजस्ट’, हो जाए तब वीतरागों की बात को पूर्णत: पा लिया, ऐसा कहा जाएगा।
परम पूज्य दादा भगवानजिसे दूसरों के साथ अनुकूल होना आता है, उसे कोई दु:ख ही नहीं रहता। ‘एडजस्ट एवरीव्हेर।’
परम पूज्य दादा भगवानइस तरह घर में मतभेद होंगे तो कैसे चलेगा? पत्नी कहती है कि, ‘मैं आपकी हूँ’ और पति कहता है कि, ‘मैं तेरा हूँ’, फिर मतभेद क्यों?
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