जिस तरह सोने को दूसरे तत्वों से अलग करने के लिए किसी सुनार की ज़रूरत पड़ती है, उसी तरह व्यक्ति को अपने प्योर स्वरूप की प्राप्ति करवाने के लिए एक प्रकट पुरुष (प्रबुद्ध व्यक्ति) की ज़रूरत है। सच्ची आध्यात्मिकता, धर्म नहीं है; वह विज्ञान है। सिर्फ एक वैज्ञानिक की आवश्यकता है, जो इन दो तत्वों को, आत्मा और अनात्मा को, अलग कर सके हैं। इसलिए अगर किसी को यह आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करना है तो उसे उस वैज्ञानिक या ज्ञानीपुरुष (प्रबुद्ध व्यक्ति) के पास जाना होगा। हज़ारों लोगों ने परम पूज्य दादाश्री से ‘भेद ज्ञान प्रयोग’ द्वारा आत्मा का अनुभव प्राप्त किया है। आज भी लोग पूज्य दीपकभाई से आत्मसाक्षात्कार प्राप्त कर रहे हैं। लाखों लोगों ने अपने सच्चे स्वरुप का अनुभव किया है और अपने आत्मा को जगाया है। इस प्रक्रिया का परिणाम, आत्मा (सच्चे स्वरुप) की निरंतर जागृति और संपूर्ण सुख एवं चिंता मुक्त जीवन है।
भेदविज्ञान, जिसे ‘आत्मसाक्षात्कार’ प्राप्ति की वैज्ञानिक प्रक्रिया या ‘ज्ञान विधि’ भी कहते हैं| इसके बारे में और अधिक जानने के लिए, क्लिक करें :