सारी दुनिया सुख और शांति को पाएँ और कितने ही मोक्ष को पाएँ
पवित्रता
ब्रह्मचर्य और पैसों के संबंध में १००% पवित्रता होनी चाहिए।
हमारी सभी गतिविधियाँ व्यक्तिगत समृद्धि या लाभ के लिए नहीं हैं, बल्कि संस्था के वित्तीय आत्मनिर्भरता, संरक्षण और विकास के लिए हैं।
कषायरहित व्यवहार (कषाय=क्रोध, मान, माया और लोभ)
एक दूसरे से साथ आपसी एकता का लक्ष्य है और साथ ही दादा भगवान द्वारा बताई हुई ‘नौ कलमों’ को ध्यान में रखकर संपूर्ण व्यवहार कषाय रहित और प्रेम पूर्वक होना चाहिए।
अकर्ता
सेवा करते समय भी अकर्ता भाव में रहना, सकारात्मक दृष्टिकोण रखना और बुद्धि को कामकाज के कार्य में लगाना, न कि दूसरों की गलतियाँ ढूंढने में।
आधीनता - प्रत्यक्ष ज्ञानी की
सांसारिक व्यवाहर में परम विनय का भाव रखना है और दादा भगवान की पाँच आज्ञाओं का पालन करना है, वर्तमान के प्रत्यक्ष ज्ञानी (पूज्य दीपकभाई) की आधीनता में रहना है और साथ ही साथ भविष्य के ज्ञानियों की वंशावली के भी, जिन्होंने वर्तमान प्रत्यक्ष ज्ञानी से आशीर्वाद प्राप्त किये हैं।
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