अहमदाबाद से कुछ ही दूरी पर अडालज में अक्रम विज्ञानी परम पूज्य दादाश्री प्रेरित भव्य निष्पक्षपाती त्रिमंदिर की स्थापना हुई है।
त्रिमंदिर एक भव्य दो मंज़िला इमारत है। जिसमें नीचे की मंज़िल पर एक भव्य जायजेन्टीक हॉल है और पहली मंज़िल पर मंदिर है। मंदिर के मध्य शिखर की ऊँचाई १०८ फीट है और इस मंदिर में गुलाबी पत्थरों पर सुंदर कारीगरी देखने को मिलती है।
मंदिर का मुख्य हॉल १०,००० स्क्वायर फीट का है। मंदिर के बाहर का आँगन २०,००० स्क्वायर फीट का है। मंदिर के मध्य में १३ फीट ऊँची भगवान श्री सीमंधर स्वामी की मूर्ति स्थापित है, जिसके दोनों तऱफ शासन देव श्री चांद्रायण यक्ष देव और शासन देवी श्री पाँचागुली देवी विराजमान है।
यहाँ पर प्रथम चौबीसी के तीर्थंकर भगवान श्री ऋषभदेव भगवान, श्री अजीतनाथ भगवान, श्री पार्श्वनाथ भगवान और श्री महावीर भगवान, एवं शासन देवी श्री चक्रेश्वरी देवी और श्री पद्मावती देवी भी हैं। त्रिमंदिर के बाई ओर शिवलिंग, पार्वती देवी, हनुमानजी और गणपति देव हैं। जब कि दाई ओर योगश्वर श्री कृष्ण भगवान और तिरुपति बालाजी भगवान और श्रीनाथजी भगवान, श्री भद्रकाली माताजी और श्री अंबा माताजी हैं। मंदिर के दोनों बाहरी किनारों पर एक तऱफ श्री पद्मनाभ प्रभु (अगली चौबीसी के प्रथम तीर्थंकर) और दूसरी तरफ संत शिरोमणि श्री सांईबाबा के मंदिर हैं।
त्रिमंदिर में एक म्यूज़्यिम ओर मिनी थियेटर भी हैं। जिसमें हमें ‘ज्ञानीपुरुष’ परम पूज्य दादाश्री के ज्ञान जीवन की झलक देखने को मिलती है।
अडालज के अलावा ऐसे ही भव्य त्रिमंदिर राजकोट, भुज और गोधरा में भी हैं। मुंबई और गुजरात के मोरबी शहर में भी त्रिमंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है। इसके अलावा चलामणी, भादरण, वासणा और अन्य कई जगहों पर भी छोटे त्रिमंदिर बने हुए है।
इस अलौकिक मंदिर का प्राणप्रतिष्ठा महोत्सव सन् २००२ में २५ से २९ दिसम्बर तक हुआ था। प्राणप्रतिष्ठा विधि पूज्य नीरू माँ के हाथों हज़ारों महात्मा और मुमुक्षुओं की उपस्थिति में हुई थी।
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