भूल किसकी? मुझे क्यों भुगतना पड़ता है?

जब भी हमें बिना किसी दोष के दुःख भुगतना पड़ता है, तब यह प्रश्न बार-बार होता है कि इसमें मेरी क्या गलती है?

भूल किसकी है? भूल लुटेरे की है या जो लूट गया, उसकी।

यदि आप जानना चाहते हैं कि इस दुनिया में भूल किसकी है, तो उसे ढूँढ निकालें जो भुगत रहा है

हमें दुःख किस कारण से है? 

परम पूज्य दादाश्री सभी शास्त्रों का सार देते हुए बताते हैं कि कुदरत का न्याय किस प्रकार से काम करता है।'भुगते उसीकी भूल'।

 

 

मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है?

हमेशा दूसरों का भला करने के बावजूद मुझे ज़िंदगी में दुःख मिलता है और दूसरे मज़े करते हैं। क्यों मेरी ज़िंदगी से दुःख और असफलता दूर होने का नाम ही नहीं लेते? मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है?

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Top Questions & Answers

  1. Q. मुझे क्यो भुगतना पड़ता है?

    A. इन समाचारों में रोज़ आता हैं कि, 'आज टैक्सी में दो आदमियों ने किसीको लूट लिया, फलाँ फ्लेट मेंकिसी... Read More

  2. Q. मैं कहाँ गलत हूँ?

    A. जब हमें बिना किसी भूल के भुगतना पड़ता है, तब हृदय बार-बार द्रवित होकर पुकारता है कि इसमें मेरी क्या... Read More

  3. Q. लोग मुझे क्यों नहीं समझते?

    A. प्रश्नकर्ता : कुछ लोग ऐसे होते हैं कि हम चाहे कितना ही अच्छा बर्ताव करें, फिर भी वे नहीं... Read More

  4. Q. भूल किसकी है?

    A. यह तो बहू के मन में ऐसा असर हो जाता है कि, मेरी सास मुझे परेशान करती है। यह बात उसे रात-दिन याद... Read More

  5. Q. भूल किसकी? डॉक्टर या रोगी की?

    A. डॉक्टर ने मरीज़ को इन्जेक्शन दिया और डॉक्टर घर जाकर चैन से सो गया। लेकिन मरीज़ को तो सारी रात... Read More

  6. Q. कौन सबसे अधिक दुःख भुगतता है?

    A. जिसका ज़्यादा दोष, वही इस संसार में मार खाता है। मार कौन खाता है? यह देख लेना। जो मार खाता है, वही... Read More

  7. Q. भगवान दुःख क्यों होने देते हैं?

    A. जगत् नियम के अधीन चल रहा है, यह गप्प नहीं है। इसका 'रेग्युलेटर ऑफ द वर्ल्ड' भी है, जो निरंतर इस... Read More

  8. Q. दुःख को कैसे दूर करें?

    A. लोग सहनशक्ति बढ़ाने को कहते हैं, लेकिन वह कब तक रहेगी? ज्ञान की डोर तो आखिर तक पहुँचेगी, सहनशक्ति... Read More

  9. Q. मेरे दुःखों के लिए ज़िम्मेदार कौन है?

    A. भूल किसकी? भुगते उसकी! क्या भूल? तब कहते हैं कि 'मैं चंदूभाई हूँ' यह मान्यता ही आपकी भूल है।... Read More

  10. Q. क्या उचित है और क्या अनुचित?

    A. भुगते उसी की भूल, यह 'गुप्त तत्व' है। यहाँ बुद्धि थक जाती है। जहाँ मतिज्ञान काम नहीं करता, वह बात... Read More

Spiritual Quotes

  1. सब कायदे के मुताबिक ही है। संपूर्ण न्यायपूर्वक ही है पर सामनेवाले की दृष्टि में यह नहीं आता, इसलिए वह नहीं समझ पाता है। जब दृष्टि निर्मल होगी, तब न्याय दिखेगा। जब तक स्वार्थ दृष्टि होगी, तब तक न्याय कैसे दिखेगा ?
  2. यह खुद की बनाई हुई मशीनरी हो, उसमें गियर व्हील हों, और उसमें खुद की उँगली आ जाये तो उस मशीन से आप लाख बार कहें कि 'भैया, मेरी उँगली है, मैंने खुद तुझे बनाया है, तो क्या वह गियर व्हील उँगली छोड़ देगा ?' नहीं छोडे़गा। वह तो आपको समझ देता है कि भैया, इसमें मेरा क्या कसूर ? आपने भुगता इसलिए आपकी भूल। इसी प्रकार बाहर सर्वत्र ऐसी मशीनरी ही है केवल।
  3. पत्थर फेंका उसकी भूल नहीं है, जिसे पत्थर लगा उसकी भूल है! आपके इर्द-गिर्द के बाल-बच्चों की कैसी भी भूलें या दुष्कृत्य होंगे, पर उसका असर आप पर नहीं होता तो आपकी भूल नहीं है; और अगर असर होता है तो वह आपकी ही भूल है, ऐसा निश्चित रूप से समझ लीजिए!
  4. दो आदमी मिलकर लक्ष्मीचंद पर आरोप लगायें कि आपने हमारा बहुत बुरा किया है। इससे यदि लक्ष्मीचंद को रातभर नींद नहीं आये और आरोप लगानेवाला चैन से सो गया हो, तो इसमें भूल लक्ष्मीचंद की है। मगर दादाजी का सूत्र 'भुगते उसी की भूल' उसे याद आ गया तो लक्ष्मीचंद भी चैन से सो जायेगा वर्ना उनको गालियाँ देता रहेगा!
  5. तो भुगते उसी की भूल, इतना ही समझ में आ जाये तो घर में एक भी झगड़ा नहीं रहेगा।
  6. भुगते उसी की भूल', यह भगवान की भाषा। और यहाँ तो जिसने चोरी की, उसे लोग गुनहगार मानें। अदालत भी चोरी करनेवाले को ही गुनहगार मानती है।यानी यह बाहर के गुनाह रोकने के लिए लोगों ने अंदरूनी गुनाह शुरु किये हैं। भगवान के गुनहगार हों, ऐसे गुनाह शुरू किये हैं। मुए, भगवान का गुनहगार मत होना। यहाँ का गुनाह हो जाये तो कोई हर्ज नहीं है, दो महीने जेल जाकर वापस आ जाओगे मगर भगवान के गुनहगार मत होना।
  7. जिसका ज्यादा दोष वही इस संसार में मार खाता है। मार कौन खाता है ? यह देख लीजिए। जो मार खाता है वही दोषित है।
  8. भुगते उस पर से हिसाब निकल आयेगा कि किसकी भूल थी!
  9. सारा संसार सामनेवाले की गलती देखता है। भुगतता है खुद, मगर  गलती सामनेवाले की देखता है। इससे उलटे गुनाह दुगने होते जा रहे हैं और व्यवहार भी उलझता जाता है।
  10. यदि कोई मनुष्य सारा जीवन यह सूत्र इस्तेमाल करेगा, यथार्थता से समझकर यदि इस्तेमाल करेगा तो उसे गुरु करने की आवश्यकता नहीं रहेगी। यह सूत्र ही उसे मोक्ष में ले जाये ऐसा है।

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