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मैंने किसीको दुःखी किया हो, तो उसकी माफ़ी कैसे माँगूं?

प्रश्नकर्ता: सामनेवाले का मन तोड़ा हो तो उससे छूटने के लिए क्या करना चाहिए?

दादाश्री: प्रतिक्रमण करने चाहिए और अगर आमने-सामने मिल जाए तो कहना कि ‘भाई, मैं कमअक्ल हूँ, मुझ से भूल हो गई।’ ऐसा कहना चाहिए, ऐसा कहने से उनके घाव भर जाएँगे।

प्रश्नकर्ता: क्या उपाय करना चाहिए कि जिससे तरछोड़ के परिणाम भुगतने की बारी नहीं आए?

दादाश्री: तरछोड़ के लिए और कोई उपाय नहीं है, बार-बार प्रतिक्रमण करने चाहिए। जब तक सामनेवाले के मन का परिवर्तन नहीं हो जाए तब तक करने चाहिए। और अगर वह प्रत्यक्ष मिल जाए तो वापस मधुर बोलकर क्षमा माँग लेनी चाहिए कि ‘भाई, मुझ से तो बहुत बड़ी भूल हो गई, मैं तो मूर्ख हूँ, कमअक्ल हूँ।’ इससे सामनेवाले के घाव भरते जाते हैं। आप खुद खुद की निंदा करते हो तो सामनेवाले को अच्छा लगता है, तब उनके घाव भर जाते हैं।

हमें  हमारे पिछले जन्म के तरछोड़  के परिणाम दिखते हैं। इसलिए तो मैं कहता हूँ कि किसी को तरछोड़ नहीं लगानी चाहिए। मज़दूर को भी तरछोड़ नहीं लगानी चाहिए। अरे, आखिर में साँप होकर भी बदला लेगा। तरछोड़ से छुटकारा नहीं मिलता। सिर्फ प्रतिक्रमण ही बचा सकता है।

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