जब अज्ञान खत्म होता है तभी से मुक्ति का अनुभव होता है। अज्ञान से बंधन है। किस चीज़ का अज्ञान? खुद को खुद अपने बारे में अज्ञान है। कृष्ण भगवान ने इसे गुह्यतम ‘विज्ञान’ कहा है। जब कोई गुह्य को ही नहीं समझ सकता तो गुह्यतर व गुह्यतम कैसे समझ सकेगा?
परम पूज्य दादा भगवानइस दुनिया में कौन ठगा जाता है? लालची! यदि लालच नहीं है तो भगवान भी उसे नहीं ठग सकते। जब लालच नहीं हो तभी जगत् कल्याण हो सकता है।
परम पूज्य दादा भगवानजब तक अमूर्त के दर्शन नहीं हुए हैं, तब तक मूर्ति के दर्शन अवश्य करना। मूर्ति के दर्शन तो हिन्दुस्तान का साइन्स है। मंदिर देखते ही नमस्कार करते हैं।
परम पूज्य दादा भगवानबच्चा जब चलता है तो उसमें बच्चे का क्या पुरुषार्र्थ है? वह तो प्रकृति चलवाती है!
परम पूज्य दादा भगवानआप अपने आम के पेड़ में चाहे कितनी भी खाद डालो तब भी क्या वह सेब देगा? नहीं। क्यों? क्योंकि स्वभाव नहीं बदल सकता।
परम पूज्य दादा भगवानशरीर का कैन्सर तो अच्छा है, लेकिन यह तो मानसिक ‘कैन्सर’ हो जाता है। वह तो अनंत जन्म बिगाड़ देता है।
परम पूज्य दादा भगवाननियम से प्रत्येक चीज़ के दो ही भाग होते हैं : ‘रिलेटिव’ और ‘रियल।’ फोटो के दर्शन करते समय ‘रिलेटिव’ की चिट्ठी तो कृष्ण भगवान को पहुँचती है और ‘रियल’ में खुद के आत्मा की ही भक्ति होती है।
परम पूज्य दादा भगवानशील कब उत्पन्न होता है? जिन्हें ऐसा भाव रहता है कि ‘कभी भी किसी जीव को मन से, अहंकार से, अंत:करण से, बिल्कुल भी दु:ख न हो,’ उनमें शील उत्पन्न होता है।
परम पूज्य दादा भगवानखुदा के साथ एक होने में मेहनत नहीं है, खुदा से जुदा होने में मेहनत है!
परम पूज्य दादा भगवान‘प्रतिक्रमण’ तो आप बहुत करना, जो लोग आपके आसपास हैं, जिन्हें आपने परेशान किया हो, रोज़ एक-एक घंटे उनके ‘प्रतिक्रमण’ करना।
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