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जब कोई आपका अपमान करे तब टकराव को कैसे टालें?

यदि किसी ने आपके बारे में एक बार भी अपशब्द बोला हो तो आप अपने आप से यह पूछ सकते हो कि वह ऐसा क्यों कर रहा है और हो सकता है कि आप उसे इस बात के लिए मन ही मन कोसें भी। ऐसा करके, आप उसके साथ पुराना हिसाब चुकता करते समय नया खाता खोल रहे हैं। जब वह पूर्व में दिए गए हिसाब को लौटाने आया तो आपने उस हिसाब को स्वीकार करने और जमा करने की बजाए उस व्यक्ति को कई बार कोस दिया। आप उसका बार बार अपमान कर रहे हैं लेकिन खुद उसका एक भी अपमान सहन करने में असक्षम हैं। अब मानव बुद्धि इस गहराई तक कैसे पहुँच सकती है ? यह समझने की बजाए लोग और कर्म बाँध लेते हैं और भ्रमित हो जाते हैं।

अपमान के समय हमें किस प्रकार का वर्तन करना चाहिए, इसके लिए परम पूज्य दादाश्री ने कई प्रकार की चाबियाँ दी है, चलिए उन्हे देखते हैं

  • जब कोई आपके ऊपर कठोर अपमानजनक शब्दों की बौछार करता है , उस समय आपको जागृत रहना है और और उस व्यक्ति के साथ होने वाले टकराव को टालना है। किसी विवाद में नहीं पड़ना है।
  • उनके के दृष्टिकोण को समझने का प्रयास करें। वह आपसे क्रोधित क्यों हो रहे हैं और क्यों आप पर अपमानजनक शब्दों की बौछार कर रहे हैं? जब आप उनके क्रोध का कारण जान जाएंगे, तब आप शांति व् संयम से इस समस्या का समाधान ढूंढ पाएंगे। दूसरे व्यक्ति के पास जाने से पहले, उनके गुस्से के शांत होने की प्रतीक्षा करें। तब शांति से उस मामले पर चर्चा करें और एक दूसरे को स्वीकार हो ऐसा समाधान लाएं।
  • जब कोई आप पर चिल्लाकर आपका अपमान करे और एक ही बात को बार बार बोले , इसका एक उपाय यह है कि आप यह पता लगाएं कि यह सब बातें कहने के पीछे उनका क्या आशय है। उनके शब्दों पर ध्यान न दें, यह पता लगाएं कि वह क्या चाहते हैं और उसी के अनुसार कार्य करें।
  • जब कोई आपका अपमान करे , तो ऐसी स्थिति में भावुक होने की बजाय आप शांत और सहज रहें । यदि उस समय आप कोई प्रतिक्रिया करते हैं तब आप बस आग में घी डाल रहे हैं। अंत में पूरा घर जल जायेगा और दोनों का ही नुकसान होगा। परम पूज्य दादाश्री कहते है , अपमान को पचाना, वह तो महान बल है।
  • तुरंत ही कोई प्रतिक्रिया न दें। क्योंकि आपका अपमान हुआ है , आपका पहला विचार यही होगा की कि मैं भी सामने वाले को सुनाऊं । ऐसा न करें! अपने अंदर उथल पुथल को शांत होने दें। फिर सामने वाले व्यक्ति के पास जाकर उसके सामने अपना दृष्टिकोण रखें। अपने विचार उन्हें बताएं और आपने ऐसा क्यों किया उसका स्पष्टीकरण दें । फिर हो सकता है वह उन चीजों को आपकी तरह देख पाएं। इस तरह अपमान का उत्तर देना है
  • सकारात्मक दृष्टिकोण को बनाये रखें । ऐसा सोचें सामने वाले व्यक्ति ने कठोर शब्दों का ही उपयोग किया है , उन्होंने आपको मारा तो नहीं है न, इससे कठोर शब्दों से लगने वाले अपमान की तीव्रता कम हो जाएगी।
  • यह समझ रखो कि जो कुछ भी हो रहा है वह मेरे ही बोये हुए कर्मों का फल है। आपका अपमान करने में सामने वाले व्यक्ति का कोई दोष नहीं है वह तो आपके कर्मों के हिसाब को चुकता करवाने में निमित्त बनकर आपकी मदद कर रहा है । यह समझ आपके दुःख और असर को कम करने में मदद करेगी। ये समझलें कि मैंने अपने पूर्व जन्म में कुछ तो गलत किया है, इसलिए मुझे इस जन्म में अपशब्द मिल रहे हैं। आपकी ही गलती के कारण उसे ऐसा बोलना पड़ता है। ऐसा करके वह आप को आपके पूर्व जन्म की गलती से मुक्त कर रहा है। आपको उस व्यक्ति के प्रति किसी भी प्रकार का द्वेष भाव नहीं होना चाहिए। इसके बदले आपको उनका उपकारी होना चाहिए कि उन्होंने आपको आपके कर्म से मुक्त किया है परंतु इसके बावजूद भी आप को उसके प्रति तिरस्कार का भाव ही रहता है।

जब कोई आपका अपमान करे और आपका मन सामने वाले व्यक्ति के लिए नही बिगडे तब आपने तप किया है , ऐसा माना जाएगा। जब इस तरह का तप होता है तब हमारे अंदर अनंत शक्तियां उत्पन्न होती हैं।

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