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अति आवश्यक धार्मिक सिद्धांत

मोक्षमार्ग में क्रियाकांड या ऐसा कुछ नहीं होता है। सिर्फ संसारमार्ग में क्रियाकांड होते हैं। संसारमार्ग यानी, जिसे भौतिक सुख चाहिए, अन्य कुछ चाहिए, उसके लिए क्रियाकांड है। मोक्षमार्ग में ऐसा कुछ होता नहीं है। मोक्षमार्ग यानी क्या? आलोचना, प्रतिक्रमण और प्रत्याख्यान। चलाता जा अपनी गाड़ी। वही है हमारा यह मोक्षमार्ग। उसमें क्रियाकांड और ऐसा कुछ नहीं होता न!

moksha marg

आलोचना, प्रतिक्रमण, प्रत्याख्यान वही है यह मोक्षमार्ग। कितने ही जन्मों से हमारी यही लाइन (मार्ग) है। कितने ही जन्मों से आलोचना- प्रतिक्रमण- प्रत्याख्यान करते-करते यहाँ तक पहँुचे हैं।

कषाय नहीं करना और प्रतिक्रमण करना, सिर्फ यही दो धर्म हैं। और पूर्वकर्म के अनुसार (कषाय) हो जाएँ तो उसके प्रतिक्रमण करना। यही धर्म है, बाकी और कोई धर्म जैसी चीज़ नहीं है। जबकि यही दो आइटम इन सभी लोगों ने निकाल दिए हैं!

यदि आपने उनसे उल्टा कहा, तो आपको प्रतिक्रमण करना पडे़गा, लेकिन उन्हें भी आपके प्रतिक्रमण करने पड़ेंगे। उन्हें क्या प्रतिक्रमण करना चाहिए कि ‘मैंने कब भूल की होएगी कि इन्हें मुझे गाली देने का मौका मिला?’ अर्थात् उन्हें अपनी भूल का प्रतिक्रमण करना होगा। उन्हें अपने पूर्व जनम का प्रतिक्रमण करना होगा और आपको अपने इस जन्म का प्रतिक्रमण करना पड़ेगा! ऐसे प्रतिक्रमण रोज़ाना पाँच सौ-पाँच सौ करें, तो मोक्ष में जाए!
यदि इतना ही कर लो न, तो दूसरा कोई धर्म नहीं ढूँढोंगे तो भी हर्ज नहीं है। इतना पालन करो तो बस है, और मैं तुझे गारन्टी देता हूँ, तेरे सिर पर हाथ रख देता हूँ। जा मोक्ष के लिए, अंत तक मैं तुझे सहयोग दूँगा! तेरी तैयारी चाहिए। एक ही शब्द का पालन करेगा, तो बहुत हो गया!

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