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यदि भविष्य के विचार आए तो उनके साथ कैसे वर्ते?

भूतकाल गॉन, भविष्य परसत्ता...

प्रश्नकर्ता: वर्तमान में एक्ज़ेक्टली कैसे रहे, उसका उदाहरण देकर समझाइए।

दादाश्री: अभी आप किसमें हो? कुसंग में हो या सत्संग में हो? होटल में हो या शेयर बाज़ार में उसका पता नहीं चलता आपको? कौन से बाज़ार में हो?

प्रश्नकर्ता: सत्संग में हूँ।

दादाश्री: सत्संग में हो। अत: अभी आप वर्तमान में रह रहे हो। चार दिन पहले आपके छ:सौ रुपये खो गए हों, और वह याद आए तो वह भूतकाल बन गया। उसे यहाँ वर्तमान में याद करो, तो भूतकाल को खींच लाए । और यहाँ आने में अड़चन पड़ी हो , तो सोचते हैं कि कहीं अड़चन आएगी, अब तो ऐसा करना है, वैसा करना है, यहाँ वर्तमान में बैठे-बैठे भविष्य काल के विचार करें, तो वह भविष्य काल कहलाता है। वर्तमान में रहने को कहते हैं। क्या गलत कहते हैं? समझ में आगया सब?

प्रश्नकर्ता: अब समझ में आ गया।

दादाश्री: पिछले साल बेटा मर गया हो और वह सत्संग में याद आए तो वह मन का स्वभाव है, वह दिखाता है, तब खुद भूतकाल में खो जाता है। बाकी यू ही खो जाए ऐसा इंसान नहीं है। कोई कहनेवाला होना चाहिए। कोई दखलंदाज़ी करनेवाला हो तो तुरंत मन भीतर चिल्लाता है, मन दिखाता है, ‘लडक़ा मर गया है न! मेरा बेटा...’ ‘अब वह तो हो गया, हमें इससे क्या लेना-देना? यहाँ क्यों लेकर आया इस फाइल को, ऑफिस की फाइल को यहाँ क्यों ले आया?डाँटकर निकाल देना।

इस तरह से विभाजन करना नहीं आए तो क्या हो सकता है? रसोईघर में भी ‘बेटा मर गया’ ऐसा लगता है, तब फिर हें... रस-पूड़ी हो न, तब भी सुख चला जाता है न?

प्रश्नकर्ता: चला जाता है।

दादाश्री: उस घड़ी बेटे का विचार आए तो गेट आउट , ऑफिस में आना, ऐसा नहीं कह सकते?

प्रश्नकर्ता: हाँ, कह सकते हैं न।

दादाश्री: ऐसा क्यों आया, ऐसे कहना चाहिए। वे आपके बुलाने से आए हैं, लेकिन आपको कहना है कि ‘यहाँ पर नहीं, कम इन द ऑफिस।’  और रस-रोटी खाते समय याद आया कि वहाँ पर जात्रा में जाना है, वहाँ मेरा खाने का ठिकाना नहीं पड़ेगा! अरे भाई, अभी क्यों आया? ऐसा विचार आता है भीतर, नहीं आता?

प्रश्नकर्ता: आता है।

दादाश्री: तब फिर आपको क्या कहना है? कि ‘यहाँ से गेट आउट। वहाँ जो होना होगा, तब देख लेगें हम। ऑन द मोमेन्ट,’ कह देना।

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