Related Questions

क्या मुझे मेरे जीवनसाथी को उसकी गलतियाँ बतानी चाहिएँ?

कई बार ऐसा होता है कि जीवनसाथी एक दुसरे की गलतियाँ बताना चाहते हैं । जब वे आपको आपकी गलतियाँ बताते हैं तब आपको कैसा लगता है? अतः जब कभी भी आपको अपने जीवनसाथी की या किसी और की ग़लती बताने की आवश्यकता महसूस हो, तो सोचिये की ऐसा आपके साथ होगा तो आपको कैसा लगेगा। आपको अपनी ही गलतियाँ दिखाने के लिए किसी की जरूरत नहीं। जब वे ऐसा करते हैं तो आपको दुःख होता है और आपके मन में बदले की भावना आ जाती है। परिणामतः इससे कटुता और झगडे होने लगते हैं, और घर में अशांति छा जाती है।

भूलें नहीं निकालनी चाहिए 

परम पूज्य दादाश्री कहते हैं कि जीवन सारा बिगड़ गया है, ऐसा जीवन नहीं होना चाहिए। जीवन तो प्रेममय होना चाहिए। जहाँ प्रेम हो वहाँ भूल ही नहीं निकालते। भूल निकालनी हो तो ठीक से समझाना चाहिए। उसे हम कहें, ‘ऐसा करने जैसा है।’ तो वह कहेगी, ‘अच्छा किया मुझे कहा।’ उपकार माने। ‘चाय में शक्कर नहीं’ कहेगा। अरे, पी जा न चुपचाप। बाद में उसे भी पता चलेगा न? वह हमें कहे उलटे कि आपने शक्कर नहीं माँगी?!’ तब कहें, ‘आपको पता चले तब भेजना।’ जीवन जीना नहीं आता। घर में भूल नहीं निकालते। निकालते हैं या नहीं निकालते अपने लोग?

अपने जीवनसाथी की ग़लतियों को क्षमा कर देना चाहिए 

यदि आप अपनी पत्नी की ग़लतियों को अनदेखा कर दोगे तो वह आपसे प्रभावित हो जाएगी, लेकिन इसके वजाय उसने कुछ नहीं किया हो फिर भी आप उस पर दोषारोपण करते हो। कई पुरुष व्यर्थ ही स्त्रियों की ज़िम्मेदारियां और काम के बारे में शिकायतें करते रहते हैं। 

अपने आप में सुधार लाएँ 

आपको दूसरे लोगों की ग़लतियाँ बताने से दूर रहना चाहिए क्योंकि उसके मूल में अहंकार होता है और इससे उन्हें दुःख पहुंचेगा। उन्हें अपनी ग़लतियों का एहसास है। अतः हमेशा ऐसी भावना रखनी है कि हमारे मन से, वाणी से, वर्ताव से किसी को दुःख न हो! दूसरों की भूलों को मत देखो, ख़ुद में कैसे सुधार लाया जाए, अपनी भूलों से कैसे बाहर निकला जाए उसपर ध्यान देना है! परम पूज्य दादाश्री कहते हैं, ‘सुधारने के लिए खुद ही सुधरने की ज़रूरत है। किसी को सुधारा ही नहीं जा सकता है। जो सुधारने के प्रयत्नवाले हैं, वे सब अहंकारी है। खुद सुधरा मतलब सामनेवाला सुधर ही जाएगा।' 

भूलें निकालने का परिणाम 

यदि उनसे ग़लती हो जाती है और आप उसे बताते हो, तो आपको उसके बदले में क्या मिलेगा? 

यह रेलवेलाइन चलती है, उसमें कितनी सारी कार्यवाही होती है! कितनी जगहों से नोंध आती हैं, खबरें आती हैं, उनका पूरा डिपार्टमेन्ट ही अलग। अब उसमें भी खामी तो आती ही है न? वैसे ही वाइफ के डिपार्टमेन्ट में कभी खामी भी आ जाती है। अब हम यदि उनकी खामी निकालने जाएँ तो फिर वे हमारी खामी निकालेंगी, आप ऐसा नहीं करते, आप वैसा नहीं करते।

×
Share on