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जीवन में संबंधों को बनाए रखने के लिए, एडजस्टमेन्ट का उपाय सबसे सरल क्यों है?

कई बार ऐसा समय भी आता है कि आप जानते हो कि आप सही हो लेकिन फिर भी एडजस्टमेन्ट लेना पड़ता है। तब आप अपने आप से पूछते हो "मै सच्चा हूँ, फिर क्यों मुझे एडजस्टमेन्ट लेना है?" ऐसी परिस्थितियों में, आप संबंधों को बनाये रखने के लिए एडजस्टमेन्ट लेने होनेवाले लाभ को याद कर मन को शांत कर सकते है। यह निचे दर्शाए गए अनुसार है :

  • यदि आपको दूसरो के साथ एडजस्ट करना आता है, तो आप कभी भी दुःख व पीड़ा का अनुभव नहीं करेंगे और आपके सभी के साथ सदा संबंध मधुर रहेंगे।
  • जब आप एडजस्ट होते है तब आप दुसरे लोगो को दुःख नहीं देते और इसलिए दूसरे लोग आपसे वैर भी नहीं बांधेगे।
  • यदि आप एडजस्ट होते है तो आपके अंदर सूझ उत्पन्न होगी। इसका अर्थ है कि आपमें समस्या का निवारण करने की शक्ति बढ़ेगी। इसके फलस्वरूप आपकी कार्य क्षमता भी बढ़ेगी।
  • यदि आप एडजस्टमेन्ट लेते हो, तो न केवल आपका वर्तमान बेहतर होगा बल्कि भविष्य भी सुन्दर होगा।
  • जब आप दूसरों के साथ एडजस्ट होते है, तब आप यह ध्यान रखते है कि सामनेवाले के मन को दुःख नहीं देना है। इस तरह से आपके क्रोध, मान, माया और लोभ नष्ट हो जाते है। परिणाम स्वरूप आपका भी व्यक्तिगत विकास होगा।
  • आप मानसिक शांति का अनुभव करेंगे।
  • एडजस्टमेन्टलेकर टकराव को टालते हो तो आप के संबंध भी अच्छे बने रहते है और आपका जीवन आसान रूप से चलता है।
  • आपके संबंध लम्बे समय तक अच्छे बने रहेंगे।
  • लोग आपके साथ रहना पसंद करेंगे। वे आपको सम्मान देंगे।  
  • यदि आप दूसरे लोगों के साथ एडजस्ट होते है , आज नहीं तो कल आपके आसपास के लोग भी आपको सहयोग देंगे।
  • यदि आप अपने आसपास के लोगो के साथ हमेशा एडजस्ट होते हो, तो लोग वह नोटिस करेंगे। यदि संयोग से आपसे कोई बड़ी भूल हो जाती है, तब वे एसा वर्तन करेंगे जेसे कुछ हुआ ही न हो। इतना ही नहीं वह आपका तब तक साथ देंगे जब तक कि समस्या का समाधान न निकले।
  • यदि आप दूसरों के साथ एडजस्ट होते है तो आप दूसरो को सुख देते है तब कुदरत आप के जीवन में उन्नति होगी और करियर(व्यवसाय) में आपको सहयोग देगी।

जिसके साथ रास न आए, वहीं पर शक्तियाँ विकसित करनी हैं। अनुकूल है, वहाँ तो शक्ति है ही। प्रतिकूल लगना, वह तो कमज़ोरी है। मुझे सब के साथ क्यों अनुकूलता रहती है? जितने एडजस्टमेन्ट लोगे, उतनी शक्तियाँ बढ़ेंगी और अशक्तियाँ टूट जाएँगी। सही समझ तो तभी आएगी, जब सभी प्रकार की उल्टी समझ को ताला लग जाएगा। नरम स्वभाव वालों के साथ तो हर कोई एडजस्ट होगा लेकिन अगर टेढ़े, कठोर, गर्म मिज़ाज लोगों के साथ, सभी के साथ एडजस्ट होना आ जाएगा तो काम बन जाएगा।

कितना ही नंगा-लुच्चा इंसान क्यों न हो, फिर भी उसके साथ एडजस्ट होना आ जाए, दिमाग़ फिरे नहीं, तो वह काम का है। भड़क जाओगे तो नहीं चलेगा। संसार की कोई चीज़ हमें ‘फिट’ नहीं होगी, हम ही उसे ‘फिट’ हो जाएँ तो दुनिया सुंदर है और यदि उसे ‘फिट’ करने गए तो दुनिया टेढ़ी है। इसलिए ‘एडजस्ट एवरीव्हेर!’ आप उसे ‘फिट’ हो जाओ तो कोई हर्ज नहीं है।

एडजस्टमेन्ट नहीं लेने से हानि :

  • यदि आप एडजस्ट नहीं होते हैं, तब लोग आपसे दूर जाना शुरू कर देंगे और वे आपको दिमागी रूप से अस्थिर समझेंगे।
  • यदि आप एडजस्ट नहीं होते है, इससे न केवल आपको दुःख होगा लेकिन सामनेवाली व्यक्ति भी दुखी होगी।
  • यदि आप एडजस्ट नहीं होते है ,तब सामने वाला व्यक्ति चिड़चिड़ करेगा और फिर टकराव अवशय होगा।
  • यदि आप के एडजस्टमेन्ट नहीं ले पाने से, सामनेवाले व्यक्ति को दुःख पहुँचता है, तब वह आपके विरुद्ध बैर बांधेगा  जिस कारण अगले जन्म में आपको दुःख प्राप्ति होगी।
  • यदि आप एडजस्ट नहीं होते है तब आपको अनंत जन्मो तक भटकना पड़ता है।
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